प्रस्तावना
भारत के हर क्षेत्र की अपनी एक खास पहचान होती है, और राजस्थान की पहचान उसकी संस्कृति, परंपराओं और देसी खान-पान से होती है। जब भी राजस्थानी खाने की बात होती है, तो दाल-बाटी-चूरमा के साथ-साथ कैर-सांगरी की सब्जी का नाम जरूर लिया जाता है। यह केवल एक सब्जी नहीं, बल्कि राजस्थान के रेगिस्तानी जीवन, संघर्ष और समझदारी की कहानी है। जहाँ पानी कम है, हरियाली सीमित है, वहीं से जन्मी यह सब्जी आज पूरे देश में पसंद की जा रही है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैर-सांगरी क्या है, इसकी पूरी कहानी क्या है, इसे कैसे तैयार किया जाता है, इसके स्वास्थ्य लाभ क्या हैं, असली राजस्थानी रेसिपी क्या है और क्यों यह आज भी उतनी ही खास है।
कैर-सांगरी क्या है?
कैर और सांगरी दोनों ही रेगिस्तानी इलाकों में प्राकृतिक रूप से उगने वाले वनस्पति खाद्य पदार्थ हैं।
कैर: यह एक छोटी, गोल, खट्टी-सी फलनुमा चीज़ होती है, जो काँटेदार झाड़ी पर लगती है।
सांगरी: यह खेजड़ी के पेड़ की लंबी, पतली फलियाँ होती हैं।
राजस्थान के सूखे इलाकों में जब हरी सब्जियाँ आसानी से उपलब्ध नहीं होती थीं, तब ग्रामीण लोग इन्हीं प्राकृतिक उपजों को सुखाकर सालभर के लिए सुरक्षित रखते थे। यही कारण है कि कैर-सांगरी को रेगिस्तान की सब्जी भी कहा जाता है।
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कैर-सांगरी की पूरी कहानी
कैर-सांगरी की कहानी केवल स्वाद की नहीं, बल्कि संघर्ष और समझदारी की कहानी है। राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में सदियों पहले लोगों के पास खेती के सीमित साधन थे। बारिश कम होती थी, जमीन बंजर होती थी। ऐसे में लोगों ने प्रकृति से जो मिला, उसी को अपनाया।
कैर और सांगरी दोनों बिना ज्यादा पानी के उग जाते हैं। इन्हें तोड़कर धूप में सुखाया जाता था ताकि खराब न हों। यही सूखी कैर-सांगरी अकाल और कठिन समय में लोगों का सहारा बनी।
धीरे-धीरे यह सब्जी राजस्थानी संस्कृति का हिस्सा बन गई। शादी-ब्याह, त्योहार, मेहमाननवाज़ी—हर जगह कैर-सांगरी की सब्जी सम्मान के साथ परोसी जाने लगी। आज भी असली राजस्थानी थाली इस सब्जी के बिना अधूरी मानी जाती है।
कैर-सांगरी को बनाने से पहले की तैयारी
असली स्वाद पाने के लिए इसकी तैयारी बहुत जरूरी होती है। सूखी कैर-सांगरी सीधे पकाने योग्य नहीं होती।
1. भिगोना
सूखी कैर और सांगरी को अलग-अलग साफ करें
रातभर या कम से कम 8–10 घंटे पानी में भिगोकर रखें
2. उबालना
भिगोने के बाद दोनों को 2–3 बार पानी बदलकर उबालें
उबालने से इनकी कड़वाहट निकल जाती है
3. निचोड़ना
उबली हुई कैर-सांगरी को अच्छे से निचोड़ लें
अब यह सब्जी बनाने के लिए तैयार होती है

असली राजस्थानी कैर-सांगरी की सब्जी (रेसिपी)
आवश्यक सामग्री
सूखी कैर – 50 ग्राम
सूखी सांगरी – 100 ग्राम
सरसों का तेल – 3 टेबलस्पून
जीरा – 1 टीस्पून
हींग – 1 चुटकी
सूखी लाल मिर्च – 3–4
हल्दी – ½ टीस्पून
लाल मिर्च पाउडर – 1 टीस्पून
धनिया पाउडर – 2 टीस्पून
अमचूर पाउडर – 1 टीस्पून
नमक – स्वादानुसार
दही – 2 टेबलस्पून (वैकल्पिक)
बनाने की विधि
कढ़ाही में सरसों का तेल गरम करें
तेल में जीरा, हींग और सूखी लाल मिर्च डालें
अब उबली हुई कैर-सांगरी डालकर मध्यम आंच पर भूनें
हल्दी, लाल मिर्च और धनिया पाउडर डालें
अच्छी तरह मिलाकर 8–10 मिनट तक भूनें
अब नमक और अमचूर डालें
चाहें तो हल्का-सा दही डालकर स्वाद और बढ़ा सकते हैं
धीमी आंच पर 5 मिनट ढककर पकाएं
तैयार है असली राजस्थानी कैर-सांगरी की सब्जी।
कैर-सांगरी के स्वास्थ्य लाभ
1. पाचन के लिए फायदेमंद
इसमें भरपूर फाइबर होता है, जो पेट को साफ रखता है।
2. डायबिटीज में लाभकारी
कैर-सांगरी ब्लड शुगर को संतुलित रखने में मदद करती है।
3. आयरन से भरपूर
यह खून की कमी (एनीमिया) में सहायक मानी जाती है।
4. वजन घटाने में मददगार
कम कैलोरी और ज्यादा फाइबर होने से वजन नियंत्रण में रहती है।
5. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्व शरीर को मजबूत बनाते हैं।
कैर-सांगरी क्यों है खास?
यह पूरी तरह देसी और प्राकृतिक सब्जी है
बिना ज्यादा पानी के उगने वाली फसल
लंबे समय तक स्टोर की जा सकती है
स्वाद के साथ सेहत भी देती है
शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का अच्छा स्रोत
आज के समय में कैर-सांगरी का महत्व
आज जब लोग ऑर्गेनिक और पारंपरिक खाने की ओर लौट रहे हैं, तब कैर-सांगरी फिर से ट्रेंड में आ रही है। बड़े होटलों, रिसॉर्ट्स और फाइव स्टार रेस्टोरेंट्स में इसे खास राजस्थानी डिश के रूप में परोसा जाता है।
ऑनलाइन मार्केट में भी सूखी कैर-सांगरी आसानी से उपलब्ध है, जिससे अब राजस्थान के बाहर रहने वाले लोग भी इसका स्वाद ले सकते हैं।
कैर-सांगरी से जुड़ी कुछ रोचक बातें
इसे “रेगिस्तान का सोना” भी कहा जाता है
अकाल के समय यह जीवन रक्षक भोजन रही है
यह सब्जी जितनी पुरानी है, उतनी ही लोकप्रिय आज भी है
निष्कर्ष
कैर-सांगरी की सब्जी सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि राजस्थान की आत्मा है। यह हमें सिखाती है कि सीमित संसाधनों में भी कैसे प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जिया जा सकता है। इसका स्वाद, सेहत और इतिहास—तीनों इसे खास बनाते हैं।
आज के आधुनिक दौर में भी कैर-सांगरी हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है। अगर आपने अब तक इसे नहीं चखा है, तो जरूर बनाइए और इस देसी स्वाद का अनुभव कीजिए। यकीन मानिए, एक बार खाने के बाद यह सब्जी आपकी पसंदीदा सूची में जरूर शामिल हो जाएगी।
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